सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है!!
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सुना है शेर का जब पेट भर जाए
तो वो हमला नहीं करता
दरख़्तों की घनी छाँव में जा कर लेट जाता है
*हवा के तेज़ झोंके जब दरख़्तों को हिलाते हैं *
तो मैना अपने बच्चे छोड़ कर
कव्वे के अंडों को परों से थाम लेती है
सुना है घोंसले से कोई बच्चा गिर पड़े
तो सारा जंगल जाग जाता है
सुना है जब किसी नदी के पानी में
बए के घोंसले का गंदुमी रंग लरज़ता है
तो नद्दी की रुपहली मछलियाँ
उस को पड़ोसन मान लेती हैं
कभी तूफ़ान आ जाए, कोई पुल टूट जाए
तो किसी लकड़ी के तख़्ते पर
गिलहरी, साँप, बकरी और चीता साथ होते हैं
सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है
ख़ुदावंदा! दाना ओ बीना! मुंसिफ़ ओ आसमाँ !
इंसा की क़ौम को तू अब
जंगलों ही का कोई क़ानून नाफ़िज़ कर!
✨✨✨
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