उमर घटेगी नहीं तो , मैं बढूंगा कैसे ? जलते रंगो की बेबाक बेचेनी से गिरता , बिलखता मैं झड़ूंगा कैसे ? .. टूटेगा बीज , निकलेगा फूल .. छम छम बारिश से छटेगी धूल , सही , गलत दोनों को छोड़ , पुन्य , पाप की बकवास को तोड़ समय की झूठी परिभाषा को मरोड़ .. जिस्म यहाँ है जान वहां है .. अपनी जान से फिर मिलूंगा कैसे ? उमर घटेगी नहीं .... गाउँ , बजाऊं , पढूं या कमाऊं ? घर पर सांसे गिना करूँ , या दूर कहीं निकल मैं जाऊँ ... इक बस्ता , सूना रस्ता , समाजिक व्यवस्ता. दुखता तन , सिमटता मन , निकलता जीवन .. पीली पोशाक तेरी , चमकता चेहरा .. जन्मों की बातें कैसे पलों में कर जाऊँ ? रुको , बैठो ज़रा हिसाब करें , सच्ची ज़िन्दगी को भी ख्वाब करें .. आना होगा तुमको ही क्योंकि , बिन तेरे विलाप भी करूँगा कैसे ? जलते रंगो की बेबाक बेचैनी से .. गिरता , बिलखता मैं झड़ूंगा कैसे ? उमर घटेगी नहीं तो , मैं बढूंगा कैसे ? जलते रंगो की बेबाक बेचैनी से , गिरता , बिलखता मैं झड़ूंगा कैसे ?