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Showing posts from March, 2020

#कैद# कौरोना

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.                  *ज़रा सी कैद से घुटन होने लगी ,*           *तुम तो पंछी पालने के शौकीन थे ।*                          *ॐ••ॐ* ये संदेश ज़रा सा भी छुए तो आज से से ही पिंजरे और पट्टे खोल फकें , स्वतंत्र जीवन से बड़ा कोई सुख नहीं 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

अजीब किस्म का शायर हूँ मैं भी..

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  🌤अजीब किस्म का शायर हूँ मैं भी.. सिर्फ एक वाह 👍🏽के लिये कई दर्द सुना देता हूँ.. 🚿 खूब करता है, वो मेरे ज़ख्म का इलाज.. कुरेद कर देख लेता है रोज,और कहता है वक्त लगेगा.. 🚿 "ज़िन्दगी" तुझसे हर कदम पर  समझौता क्यों किया जाए... शौक "जीने" का है, मगर इतना भी नहीं की मर मर के जिया जाए.. 🚿 तू पंख ले ले,     मुझे सिर्फ हौसला देदे... फिर आँधियो को      मेरा नाम और पता देदे... 🚿 पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता  और दुःख का कोई खरीदार नहीं  होता.. 🚿 बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब मुस्कुरा दीजिए..... आधे दुश्मनो को तो यूँ ही हरा दीजिए...... 🚿 *विरासत के दौलतमंद क्या जाने  मेहनत का नशा... *जिंदगी वो नहीं, जो अपने पुरखो पे  जी जाएँ...

ॐ होली ॐ

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  .                     *ॐ होली ॐ*                              ❣ .              *होली के रंग उड़ाये संग संग*                   *मिलके हम  प्रेम रंग में*                  *रंगे उठारगम हर्षाये मन !*             *फागुन मास , लहलाये फसल*                        *छिटके रंग !*               *फाग महीना , सुनकर पुकार*                        *लौटेंगे पिया !*             *हे राधे कृष्णा , सुन हमारी व्यथा*                        *करो विचार !*              *रंग अपने , हमको भी रंग लो*                       *करो उद्धार !!*                    *ॐ••••••••••ॐ*             *होली की हार्दिक शुभकामनाएँ*                *माँ होलिका की कृपा रहें*

मरा-मरा कहते कहते राम उच्चरित हो जाएगा

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❤  मरा-मरा कहते कहते ❤      ❤ राम उच्चरित हो जाएगा ❤ When our quiet times feel dry and functional, without any depth or intimacy with God. When our prayers feel like they are bouncing off the ceiling. When we just wonder where God is. Yet, the "Bibliography" tells us that God turns His face towards us, that He is so close it is like we are face to face with Him.                 ंंंंंंंंंंंंंंंंंं " कोई बात निरुद्देश्य न कही जायेगी पहचान सबकी होगी अनमोल तब जियेंगे सब बन्दे मन की सारी गिरहें खोल प्रार्थना के क्षण जी लो संकुचित मन की सीमाओं का विस्तार हो जाएगा मरा-मरा कहते कहते राम उच्चरित हो जाएगा "          ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ शनिवार की शुभकामनाएँ के साथ सदैव मित्र ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤

Corona virus

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     Corona virus Do’s 1. Cough into a disposable paper and discard it. If not available, cough into your elbow. 2. Wear a mask to preclude touching of mouth and nose. 3. Keep away from people who have flu. At least keep a distance of 3 feet. 4. If you or people around you are infected , take zinc lozenges daily , not to exceed 100 mg in 24 hours. 5. If you are infected, isolate yourself, take plenty of liquids, fresh hot food, rest  and paracetamol for fever. 6. Frequently wash your hands with an alcohol based sanitizer with at least 60% alcohol, particularly after contact with public surfaces. Newspapers and currency are possibly contaminated too. DONT’S 1. Do not touch your mouth and nose ( we usually do about 90 times in a day). 2. Do not go to crowded places if possible. 3. Do not kiss those who are infected or come from a travel to epidemic place. 4. Do not handshake. Do namaste/salaam/bow  instead. 5. Do not touch public surfaces: door knobs/ handles/ light sw

उमर घटेगी नहीं तो , मैं बढूंगा कैसे ?

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 उमर घटेगी नहीं तो , मैं बढूंगा कैसे ? जलते रंगो की बेबाक बेचेनी से गिरता , बिलखता मैं झड़ूंगा कैसे ? .. टूटेगा बीज , निकलेगा फूल .. छम छम बारिश से छटेगी धूल , सही , गलत दोनों को छोड़ , पुन्य , पाप की बकवास को तोड़ समय की झूठी परिभाषा को मरोड़ .. जिस्म यहाँ है जान वहां है .. अपनी जान से फिर मिलूंगा कैसे ? उमर घटेगी नहीं .... गाउँ , बजाऊं , पढूं या कमाऊं ? घर पर सांसे गिना करूँ , या दूर कहीं निकल मैं जाऊँ ... इक बस्ता , सूना रस्ता , समाजिक व्यवस्ता. दुखता तन , सिमटता मन , निकलता जीवन .. पीली पोशाक तेरी , चमकता चेहरा .. जन्मों की बातें कैसे पलों में कर जाऊँ ? रुको , बैठो ज़रा हिसाब करें , सच्ची ज़िन्दगी को भी ख्वाब करें .. आना होगा तुमको ही क्योंकि , बिन तेरे विलाप भी करूँगा कैसे ? जलते रंगो की बेबाक बेचैनी से .. गिरता , बिलखता मैं झड़ूंगा कैसे ? उमर घटेगी नहीं तो , मैं बढूंगा कैसे ? जलते रंगो की बेबाक बेचैनी से , गिरता , बिलखता मैं झड़ूंगा कैसे ?